Birsa Munda News: बिरसा मुंडा यह नाम तो आप सभी ने सुना ही होगा परन्तु क्या आपको पता है कि आखिर बिरसा मुंडा कौन थे? आज हम आपको यही बताने वाले हैं।
दरअसल बिरसा मुंडा एक आदिवासी युवक थे और उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ आजादी की लड़ाई लड़ी थी। बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवम्बर को सन 1875 में बिहार और झारखण्ड के आदिवासी समाज में हुआ था। ये बचपन से ही तेजस्वी और दूरदृष्टि के धनी थे। अंग्रेजों के खिलाफ हिंदुस्तान की आजादी की लड़ाई में में इन्होंनें भी भाग लिया था और अंग्रेजों के दांत खट्टे कर दिए थे। उस समय अंग्रेजीं हुकूमत में बिरसा मुंडा पर 500 रूपए का इनाम रखा गया था आप इस बात से अंदाजा लगा सकते हैं की बिरसा मुंडा अंग्रेजों की आखों में कितना खटकते थे। वर्ष 2000 में उनकी जयंती के दिन झारखण्ड राज्य उनकी ही याद में बनाया गया था।
बिरसा मुंडा छोटा नागपुर पठार क्षेत्र में मुंडा जनजाति से थे। 1 अक्टूबर 1984 में मुंडा ने अंग्रेजों के लगान(कर) के खिलाफ आंदोलन छेड़ दिया और कई मुंडाओं को एकत्रित कर इन्होंने लगान (कर) माफ़ी के लिए आंदोलन किया। वर्ष 1895 में बिरसा मुंडा को अंग्रेजी हुकूमत ने गिरफ्तार कर लिया और हजारीबाग केन्द्रीय कारागार में दो साल के कारावास की सजा दी गयी। लेकिन बिरसा और उनके साथियों ने हार नहीं मानी और अपने उद्देश्य की प्राप्ति के लिए लड़ते रहे। वर्ष 1897 से 1900 के बीच अंग्रेजों और बिरसा मुंडा और उनके समर्थकों के बीच युद्ध होते रहे और बिरसा मुंडा और उनको चाहने वाले लोगों ने अंग्रेजों की नाक में दम कर दिया था।

वर्ष 1900 में डोम्बरी पहाड़ पर जब बिरसा अपनी जनसभा को सम्बोधित कर रहे थे तभी एक और संघर्ष हुआ जिसमें कई सारे बच्चे और महिलाएं मारी गयीं। बाद में बिरसा के कई साथियो को गिरफ्तार कर लिया गया और अन्त में स्वयं बिरसा भी 3 फरवरी 1900 को चक्रधरपुर में गिरफ्तार कर लिये गये। 9 जून 1900 को बिरसा की मृत्यु हो गई। कहा यह जाता है कि अंग्रेजों ने विद्रोह से डरकर उनको फांसी की सजा नहीं दी बल्कि धीमा जहर देकर उनकी हत्या कर दी।
भले ही आज बिरसा मुंडा हमारे बीच नहीं हैं परन्तु आज भी हर भारतीय और हर देशभक्त के ह्रदय में बिरसा मुंडा जीवित हैं।