महाराष्ट्र के कद्दावर नेता और पद्म विभूषण से सम्मानित शरद पवार के मुँह में ORAL CANCER (मुँह का कैंसर) हो गया था जिसे उन्होंने हराकर मौत से जंग जीत ली। उन्हें यह कैंसर गुटखा चबाने की वजह से हुआ था और इसी लिए वह देश के सभी लोगों को गुटखा नहीं खाने की सलाह देते हैं।
SHARAD PAWAR: महाराष्ट्र के कद्दावर नेता शरद पवार आय दिन चार्चा में बने रहते हैं। शरद पवार भारत के लोकप्रिय नेताओं में से एक हैं। शरद पवार महाराष्ट्र के सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री और देश के केंद्रीय मंत्री भी रह चुके हैं। शरद पवार को भारत के दूसरे सबसे बड़े पुरस्कार “पद्म विभूषण” से भी सम्मानित किया जा चुका है। आप उनके इस परिचय से शरद पवार का राजनीती में क्या कद है यह जान चुके होंगें। अब बात करते हैं उनके मुँह की बिमारी की…

आपने शरद पवार को अक्सर भाषण देते हुए, इंटरव्यू देते हुए सुना होगा तब आपके मन में यह विचार अवश्य आया होगा की आखिर इनके मुँह में कौनसी बिमारी हो गई है/ आपने यह भी नोटिस किया होगा की उनकी इस बिमारी के कारण वह ढंग से बोल नहीं आते हैं। दरअसल शरद पवार के मुँह में ORAL CANCER (मुँह का कैंसर) हो गया था और उनको यह कैंसर गुटखा चबाने की वजह से हुआ था।
पवार को कैंसर का पता साल 2004 के लोकसभा के चुनाव के समय लगा जब वह चुनाव की तैयारियों में व्यस्थ थे हालाँकि उनको इस बात का एहसास साल 1999 में ही हो गया था की उनके मुँह में कुछ हो रहा है परन्तु उन्होंने उस समय इसमें ज्यादा ध्यान नहीं दिया और अपने काम में लग गए। जब साल 2004 में इस बात की पुष्टि हुई की उनको मुँह का कैंसर हो गया है तो वह इसके इलाज के लिए न्यूयॉर्क गए परन्तु वहां के डॉक्टरों ने उन्हें भारत के ही डॉक्टरों से सलाह लेने को कहा इसके बाद वह भारत वापस आ गए। उन्होंने भारत में ही इस बिमारी का इलाज कराया।
कई डॉक्टरों ने पवार को उनके सारे काम को निबटा लेने की सलाह दी और कहा आप लगभग छह माह के ही मेहमान हैं परन्तु पवार हार कहाँ मानने वाले थे। उन्होंने इस बिमारी का इलाज लिया और बिमारी को हारना पड़ा और वह ठीक हो गए परन्तु ठीक होने के बाद से ही वह ठीक से बोल नहीं पाते हैं परन्तु उनकी जान बच गई यह कम थोड़ी है।
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अतः हम कह सकते हैं की शरद पवार के मुँह में अब कोई बिमारी नहीं है बल्कि बिमारी के बाद का निशान है। शरद पवार कहते हैं की उनको यह बिमारी गुटखा, सुपारी चबाने की वजह से हो गई थी। काश 40 साल पहले उनको कोई गुटखा खाने से माना कर देता तो अच्छा होता। खैर वह अब भारत की जनता को गुटखा, सुपारी या किसी भी प्रकार का पान मसाला नहीं चबाने की सलाह देते हैं।
चलिए अब शरद पवार के जीवन की कुछ बाते जान लेते हैं।-
शरद पवार का प्रारंभिक जीवन और परिवार-
शरद पवार का जन्म 12 दिसंबर 1940 को महाराष्ट्र के बारामती, पुणे जिले में हुआ था। उनके पिता का नाम गोविंदराव पवार और माता का नाम शारदाबाई पवार था। पवार परिवार खेती और शैक्षिक गतिविधियों में सक्रिय था। शरद पवार ने अपनी शिक्षा पुणे में प्राप्त की, जहाँ उन्होंने बृहन्मुंबई विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री प्राप्त की।
शरद पवार का राजनीतिक करियर-

शरद पवार ने बहुत ही कम उम्र में राजनीति में कदम रखा। वे 1967 में महाराष्ट्र विधानसभा के लिए चुने गए और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) के सदस्य बने। उनका राजनीतिक करियर तेजी से आगे बढ़ा, और वे 1978 में महाराष्ट्र के सबसे युवा मुख्यमंत्री बने, जब उन्होंने राज्य के विभाजन के बाद कांग्रेस (U) का गठन किया।
शरद पवार ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में तीन बार सेवा की: 1978-1980, 1988-1991, और 1993-1995। उनके नेतृत्व में महाराष्ट्र ने विकास और औद्योगिकीकरण के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति की। वे एक कुशल प्रशासक और किसान नेता के रूप में जाने गए, जिन्होंने राज्य के कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए कई पहलें शुरू कीं।
शरद पवार का केंद्र में योगदान-
1991 में, शरद पवार केंद्र सरकार में रक्षा मंत्री बने, जब पी. वी. नरसिम्हा राव प्रधानमंत्री थे। इस पद पर उन्होंने भारतीय सेना की मजबूती के लिए कई कदम उठाए। बाद में, वे 2004 से 2014 तक केंद्र सरकार में कृषि मंत्री के रूप में कार्यरत रहे, जहाँ उन्होंने भारतीय कृषि में कई सुधार किए और किसानों के कल्याण के लिए काम किया।
अतः हम कह सकते हैं कि शरद पवार का जीवन भारतीय राजनीति में संघर्ष, नेतृत्व और समर्पण का प्रतीक है। वे एक ऐसे नेता हैं जिन्होंने महाराष्ट्र और भारत की राजनीति में गहरा प्रभाव डाला है। उनका जीवन और काम हमेशा भारतीय राजनीति में एक प्रेरणादायक भूमिका निभाता रहेगा।