Aarti Sangrah: हम आपको एक ही लेख में पांच भगवानों की आरती प्रदान कर रहे हैं ताकि आपको इन आरती को पढ़ने के लिए अलग-अलग पोस्ट में न जाना पड़े। हम इस लेख में-
- गणेश जी की आरती
- शंकर जी की आरती
- गौरा जी की आरती
- ओम जय जगदीश हरे आरती और
- हनुमान जी की आरती प्रस्तुत कर रहे हैं।
गणेश जी की आरती- Ganesh ji ki aarti: जय गणेश देवा

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥X2॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी ।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा ।
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया ।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
‘सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी ।
कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी ।॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
।।बोलिये गजानन महाराज जी की जय।।
शंकर जी की आरती- Shankar Ji Ki Aarti: Om Jai Shiv Omkara

ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…॥
एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…॥
दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।
त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…॥
अक्षमाला बनमाला मुण्डमाला धारी ।
त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…॥
कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।
सुखकारी दुखहारीजगपालन कारी ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…॥
त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे ।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…॥
ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव अद्धांगी धारा॥
ॐ जय शिव ओंकारा…॥
।। बोलिए शिव शंकर जी की जय, बोलिए भोलेनाथ जी की जय, बोलिए महादेव जी की जय, बोलिएभोलेभंडारी की जय, बोलिए कालों के काल महाकाल की जय।।
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आरती जय अम्बे गौरी- Jai Ambe Gauri Aarti

जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी ।
तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
मांग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को ।
उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्रवदन नीको ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै ।
रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्पर धारी ।
सुर-नर-मुनिजन सेवत, तिनके दुखहारी ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती ।
कोटिक चंद्र दिवाकर, सम राजत ज्योती ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
शुंभ-निशुंभ बिदारे, महिषासुर घाती ।
धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मदमाती ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे ।
मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
ब्रह्माणी, रूद्राणी, तुम कमला रानी ।
आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरों ।
बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता,
भक्तन की दुख हरता, सुख संपति करता ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
भुजा चार अति शोभित, वर मुद्रा धारी । [खड्ग खप्पर धारी]
मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती ।
श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योती ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
श्री अंबेजी की आरति, जो कोइ नर गावे ।
कहत शिवानंद स्वामी, सुख-संपति पावे ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी ।
तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
।। बोलिये गौरी माता की जय, बोलिये माँ पार्वती की जय, बोलिये माँ भवानी की जय , बोलिये दुर्गा माता की जय, बोलिये माँ वैष्णों रानी की जय।।
आरती जय जगदीश हरे- OM Jai Jagdish Hare Aarti

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे।
भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट, क्षण में दूर करे।।
ॐ जय जगदीश हरे..
जो ध्यावे फल पावे, दुख बिनसे मन का।
स्वामी दुख बिनसे मन का, सुख सम्पति घर आवे, कष्ट मिटे तन का।।
ॐ जय जगदीश हरे..
मात पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी।
स्वामी शरण गहूं मैं किसकी, तुम बिन और न दूजा, आस करूं मैं जिसकी ।।
ॐ जय जगदीश हरे..
तुम पूरण परमात्मा, तुम अंतर्यामी।
स्वामी तुम अंतरयामी, परम ब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी।।
ॐ जय जगदीश हरे..
तुम करुणा के सागर, तुम पालन करता।
स्वामी तुम पालन करता, मैं मूरख फलकामी, मैं सेवक तुम स्वामी, कृपा करो भर्ता॥
ॐ जय जगदीश हरे..
तुम हो एक अगोचर सबके प्राण पति।
स्वामी सबके प्राण पति, किस विधि मिलूं दयामी, तुमको मैं कुमति।।
ॐ जय जगदीश हरे..
दीन बंधु दुख हरता, तुम रक्षक मेरे।
स्वामी तुम रक्षक मेरे, अपने हाथ उठाओ, अपने शरण लगाओ, द्वार पड़ा तेरे ॥
ॐ जय जगदीश हरे..
विषय विकार मिटावो पाप हरो देवा।
स्वामी पाप हरो देवा, श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ संतन की सेवा।।
ॐ जय जगदीश हरे..
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे ।
भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट, क्षण में दूर करे ॥
ॐ ओम जगदीश हरे
।।बोलिये विष्णु भगवन की जय।।
आरती ओम जय जगदीश हरे के रचयिता पं. श्रद्धाराम शर्मा या श्रद्धाराम फिल्लौरी सनातन धर्म प्रचारक, ज्योतिषी, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, संगीतज्ञ तथा हिन्दी और पंजाबी के प्रसिद्ध साहित्यकार थे।
हनुमान जी की आरती- Hanuman Ji Ki Aarti: आरती कीजै हनुमान लला की

आरती कीजै हनुमान लला की । दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥
जाके बल से गिरवर काँपे । रोग-दोष जाके निकट न झाँके ॥
अंजनि पुत्र महा बलदाई । संतन के प्रभु सदा सहाई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की॥
दे वीरा रघुनाथ पठाए । लंका जारि सिया सुधि लाये ॥
लंका सो कोट समुद्र सी खाई । जात पवनसुत बार न लाई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की॥
लंका जारि असुर संहारे । सियाराम जी के काज सँवारे ॥
लक्ष्मण मुर्छित पड़े सकारे । लाये संजिवन प्राण उबारे ॥
आरती कीजै हनुमान लला की॥
पैठि पताल तोरि जमकारे । अहिरावण की भुजा उखारे ॥
बाईं भुजा असुर दल मारे । दाहिने भुजा संतजन तारे ॥
आरती कीजै हनुमान लला की॥
सुर-नर-मुनि जन आरती उतरें । जय जय जय हनुमान उचारें ॥
कंचन थार कपूर लौ छाई । आरती करत अंजना माई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की॥
जो हनुमानजी की आरती गावे। बसहिं बैकुंठ परम पद पावे ॥
लंक विध्वंस किये रघुराई । तुलसीदास स्वामी कीर्ति गाई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की । दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥
आरती कीजै हनुमान लला की॥
॥ दोहा ॥
पवन तनय संकट हरण, मंगल मूरति रूप॥
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप॥
।।बोलिए पवन पुत्र हनुमान जी की जय, बोलिये वीर बजरंगबली की जय।।
॥ इति संपूर्णंम् ॥
Aarti Sangrah
अस्वीकरण- “इस लेख में समाहित जानकारी/सामग्री/ कि सटीकता या विश्वसनीयता की हम पुष्टि नहीं करते हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ जानकारी और सुचना का अदान-प्रदान करना है इसी लिए इसके उपयोगकर्ता इसे सुचना ही समझें। हमने यह जानकारी आप तक विभिन्न धर्म ग्रंथों/प्रवचनों/ज्योतिषियों/पंचांग आदि समेत कई जगह से इकट्ठा करके आप तक पहुंचाई है। इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।” धन्यवाद।
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