Olympic Flame: ओलम्पिक खेलों में मशाल जलाने की परंपरा प्राचीन ओलम्पिक खेलों से शुरू हुई थी, जो प्राचीन ग्रीस के ओलम्पिया में आयोजित होते थे। मशाल जलाने का उद्देश्य ओलम्पिक खेलों की पवित्रता और खेल भावना का प्रतीक है। यह मशाल सूर्य की किरणों से जालाई जाती है।
हाइलाइट्स

आपने अक्सर ओलम्पिक गेम के बारे में सुना होगा और अक्सर ओलम्पिक गेम का नाम सुनते ही आपके दिमाग में एक मशाल जरूर आती होगी हालाँकि यह ओलम्पिक गेम का लोगो नहीं है परन्तु यह मशाल ज्यादातर लोगों के दिमाग में बैठी हुई है और जब भी ओलम्पिक गेम का जिक्र होता है सबसे पहले लोगों के दिमाग में यह मशाल ही आती है।
आपने कभी सोचा है कि आखिर ओलम्पिक खेल और इस मशाल का क्या वास्ता है? क्या आपने कभी सोचा है कि ओलम्पिक खेल में मशाल क्यों जलाई जाती है? क्या आपने कभी इस मशाल के इतिहास को जानने की कोशिश की है?
आज हम आपको ओलम्पिक गेम की मशाल के बारे में सब-कुछ बताने जा रहे हैं। तो चलिए शुरू करते हैं।
क्यों जलाई जाती है ओलम्पिक खेल में मशाल? (Olympic Flame)

पौराणिक महत्व: प्राचीन ग्रीस में, देवता ज़्यूस और हेरा को समर्पित होने के कारण ओलम्पिया में मशाल जलाई जाती थी। मशाल जलाने का यह अनुष्ठान देवताओं के सम्मान और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए किया जाता था।
आधुनिक ओलम्पिक खेल: आधुनिक ओलम्पिक खेलों में मशाल जलाने की परंपरा को 1928 के एम्सटर्डम ओलम्पिक से शुरू किया गया था। यह परंपरा प्राचीन ग्रीस की परंपराओं से प्रेरित होकर शुरू की गई थी।
ओलम्पिक मशाल रिले: आधुनिक समय में, ओलम्पिक मशाल रिले का आयोजन किया जाता है, जिसमें मशाल को ओलम्पिया, ग्रीस से लेकर ओलम्पिक खेलों के आयोजन स्थल तक ले जाया जाता है। यह रिले विभिन्न देशों और शहरों से होकर गुजरती है, जो खेलों की वैश्विक एकता और भाईचारे को प्रेरित करती है।
खेलों की शुरुआत का प्रतीक: ओलम्पिक मशाल जलाने की रस्म ओलम्पिक खेलों के उद्घाटन समारोह का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होती है। जब मशाल को ओलम्पिक कड़ाही में जलाया जाता है, तो यह खेलों के आधिकारिक रूप से शुरू होने का संकेत देता है।
ओलम्पिक मशाल जलाने की इस परंपरा का उद्देश्य खेलों की पवित्रता, एकता और भाईचारे को प्रकट करना है और इसे ओलम्पिक भावना का प्रतीक माना जाता है।
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कैसे जलाई जाती है ओलम्पिक गेम की मशाल?

मशाल जलाने की रस्म प्राचीन ओलम्पिया, ग्रीस में होती है, जो प्राचीन ओलम्पिक खेलों का स्थल है। एक उच्च पुजारिन (प्रिस्टेस) और अन्य महिलाएं, जो पारंपरिक ग्रीक वस्त्र पहनती हैं, समारोह में शामिल होती हैं। पुजारिन पैराबोलिक मिरर का उपयोग करते हुए सूर्य की किरणों से मशाल जलाती है। यह प्रक्रिया प्राकृतिक रूप से सूर्य के प्रकाश से आग उत्पन्न करने की प्रतीकात्मकता को दर्शाती है।
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