KARGIL VIJAY DIWAS: कारगिल विजय दिवस 26 जुलाई को हर साल भारत में मनाया जाता है, जो कारगिल युद्ध के नायकों को सम्मानित करने के लिए मनाया जाता है। कारगिल विजय दिवस को पूरे भारत में विभिन्न समारोहों के माध्यम से मनाया जाता है, जिसमें नई दिल्ली में इंडिया गेट के अमर जवान ज्योति पर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है और कारगिल जिले के द्रास में मुख्य आयोजन होते हैं। यह दिन भारतीय सैनिकों की बहादुरी और बलिदान की याद दिलाता है और राष्ट्रीय सुरक्षा के महत्व को रेखांकित करता है। इस दिन को याद करके हर भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है।
हाइलाइट्स
भारतीय सेना यह वह सेना है जिस पर हर भारतीय को गर्व है और जिसके भरोसे हर भारतीय चैन की सांस ले रहा है वैसे तो भारतीय सेना ने कई बार अपने लड़ाकू पडोसी पाकिस्तान को युद्ध में धूल चटाई है परन्तु पाकिस्तान है कि उसे शर्म ही नहीं आती है। पाकिस्तान ने हमसे 4 युद्ध लड़े हैं और चारों युद्ध में मुँह की खाई है। आज हम आपको भारत और पाकिस्तान के बीच हुए कारगिल युद्ध के विषय में सम्पूर्ण जानकारी देने जा रहे हैं रहे हैं और आपको हम बताएँगे की आखिर कारगिल विजय दिवस(Kargil Vijay Diwas) क्यों मानते हैं?
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कब और कहाँ हुआ था युद्ध?
कारगिल युद्ध मई और जुलाई 1999 के बीच जम्मू और कश्मीर के कारगिल जिले में हुआ था। यह युद्ध पाकिस्तानी सैनिकों और आतंकवादियों द्वारा भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ करने के कारण शुरू हुआ था। पाकिस्तानी सैनिकों ने नियंत्रण रेखा (line of control) को पार करके भारतीय क्षेत्र में ऊंचाई वाले स्थानों पर कब्जा कर लिया था। इसकी जवाबी कार्यवाही को ही कारगिल युद्ध के नाम से जाना जाता है।
क्यों हुआ था कारगिल युद्ध?
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यह युद्ध तब शुरू हुआ जब भारत ने पाया कि पाकिस्तानी सैनिकों और आतंकवादियों ने कारगिल क्षेत्र में ऊंचाई वाले स्थानों पर अपना कब्जा जमा लिया है और वह भारत के आंतरिक आगे बढ़ रहे हैं। ये स्थान भारतीय सीमा के अंतर्गत आते थे और श्रीनगर-लेह राजमार्ग को नियंत्रित करते थे। पाकिस्तानी सैनिकों ने सर्दियों के दौरान LoC(line of control) को पार किया था और धीरे-धीरे भारतीय क्षेत्र में गुपचुप तरीके से अपनी स्थिति मजबूत कर ली थी।
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खोज और प्रतिक्रिया
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मई 1999 की शुरुआत में, भारतीय चरवाहों ने कारगिल क्षेत्र में असामान्य गतिविधियों को देखा और इसके बाद भारतीय चरवाहों ने इसकी सूचना भारतीय सेना को दी। भारतीय सेना ने तुरंत एक्शन लिया और “ऑपरेशन विजय” शुरू किया ताकि घुसपैठियों को बाहर निकाला जा सके। प्रारंभ में, घुसपैठ की सीमा को कम करके आंका गया था, लेकिन टोही और खुफिया रिपोर्टों ने जल्द ही इसकी पूरी सीमा को उजागर कर दिया।
शुरू हुआ युद्ध। (Kargil War)
यह युद्ध ऊंचाई वाले क्षेत्रों में कठोर परिस्थितियों में लड़ा गया था, जो इसे एक चुनौतीपूर्ण और कठिन अभियान बनाता है। भारतीय सेना को पहाड़ों में ऊंचाई वाले स्थानों पर घात लगाए बैठे दुश्मनों का सामना करना पड़ा। महत्वपूर्ण लड़ाइयाँ रणनीतिक चोटियों पर लड़ी गईं, जिनमें तोलोलिंग, टाइगर हिल और प्वाइंट 4875 शामिल हैं।
यह रहे प्रमुख ऑपरेशन्स-
• ऑपरेशन सफेद सागर: भारतीय वायु सेना भी इस युद्ध में शामिल हुई, जिसने जमीनी सैनिकों को हवाई समर्थन प्रदान किया। इस ऑपरेशन में दुश्मन की स्थितियों पर हवाई हमले किये कए थे।
• ऑपरेशन विजय: यह कारगिल युद्ध का ऑपरेशन था, जिसका उद्देश्य चोटियों को पुनः प्राप्त करना और घुसपैठियों को बाहर निकालना या मार गिरना था।
यह थीं प्रमुख लड़ाइयाँ-
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- तोलोलिंग की लड़ाई: भारत की पहली प्रमुख जीतों में से एक, इस लड़ाई ने रणनीतिक लाभ प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- टाइगर हिल की लड़ाई: यह युद्ध की सबसे महत्वपूर्ण और चुनौतीपूर्ण लड़ाइयों में से एक थी। टाइगर हिल का कब्जा एक महत्वपूर्ण मोड़ था।
- प्वाइंट 4875 (बत्रा टॉप) की लड़ाई: यह नाम कैप्टन विक्रम बत्रा के नाम पर रखा गया है, जिन्हें उनकी बहादुरी के लिए परम वीर चक्र से नवाजा गया था।
अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया-
दो देशों के बीच युद्ध हो और कोई तीसरा मॉनिटर न बने ऐसा हो सकता है? इस युद्ध में भी मॉनिटर सामने आये। कई देशों ने भारत खुलकर समर्थन किया।
अंतर्राष्ट्रीय समुदाय, विशेषकर संयुक्त राज्य अमेरिका, ने पाकिस्तान की कार्रवाइयों की निंदा की और कहा युद्ध से पहले जो जिस स्थिति में था वैसा ही हो जाए। कूटनीतिक दबाव ने संघर्ष को समाप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
ऐसे हुआ संघर्ष का अंत-(KARGIL VIJAY DIWAS)
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26 जुलाई 1999 तक, भारतीय सेना ने ज्यादातर स्थानों को पुनः प्राप्त कर लिया था और बचे हुए घुसपैठियों को पीछे हटने के लिए मजबूर कर दिया था। इसी लिए यह दिन कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है ताकि जीत का जश्न मनाया जा सके और भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा किए गए बलिदानों को सम्मानित किया जा सके।
भारत पर प्रभाव-
इस युद्ध से भारत ने अपने लगभग 527 सैनिकों को खो दिया और कई अन्य घायल हुए। भारत की कार्यवाही से पाकिस्तान के हताहतों की संख्या अधिक थी, हालांकि सटीक आंकड़े आधिकारिक तौर पर नहीं बताए गए हैं।
तो यह है कारगिल विजय दिवस की सम्पूर्ण कहानी। इस दिन को हर भारतीय शौर्य और भावुकता के साथ याद करता है और मरते दम तक करता रहेगा और हमेशा यही कहेगा “जय हिन्द कि सेना”
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