फतवा यह एक ऐसा शब्द है जो आय दिन सुनने को मिलता रहता है बहुत से लोग इस फतवे के बारे में बहुत कुछ जानते है परन्तु इस शब्द का वास्ता इस्लाम धर्म से है और भारत में कई लोग ऐसे हैं जो गैर इस्लामिक है अतः जो इस्लाम धर्म को नहीं मानते हैं जैसे हिन्दू, जैन, सिक्ख आदि। इसी लिए गैर इस्लामिक लोगों को इस फतवे के विषय में ज्यादा जानकारी नहीं होती है और इसीलिए आज हम आप सभी को इसी विषय में जानकारी देने वाले हैं कि आखिर फतवा होता क्या है?, फतवे का क्या इस्तेमाल होता है?, फतवे को कौन जारी करता है? और इसी प्रकार के कई सवाल जो आपके मन में हैं उन सभी सवालों का आज हम आपको जवाब देने वाले हैं। (fatwa kya hota hai)
फतवा होता क्या है?(fatwa kya hota hai)
यह इस्लाम का एक अंग है और यह एक अरबी शब्द है जिसका मतलब होता है “किसी भी मसले में दी जाने वाली राय “
फतवे को कौन और कैसे जारी करता है?
अब सवाल यह उठता है की आखिर फतवे को कौन और कैसे जारी करता है? इसका उत्तर यह है कि इसे इस्लाम के गहरे जानकार ही जारी कर सकते हैं जिन्होंने इस्लाम की शिक्षा गहराई से हांसिल की हो कोई भी इमाम या मौलाना इसे जारी नहीं कर सकते हैं इसे केवल मुफ़्ती ही जारी कर सकता है दर असल इमाम और मौलाना भी इस्लाम और कुरआन के जानकार तो होते है परन्तु इनकी जानकारी किसी मुफ़्ती की जानकारी की तुलना में थोड़ी कम होती है वहीं अगर मुफ़्ती की बात करें तो मुफ़्ती इस्लाम के गहरे जानकार होते हैं इनको कुरआन, हदीस के साथ-साथ शरीयत व इस्लाम धर्म के बारे में बहुत सारी ऐसी बातें पता होती हैं जो हो सकता है कि इमाम या मौलाना को नहीं पता हों।
आजकल कई मौलाना और इमाम भी फतवा जारी करने की घोषणा करते रहते हैं परन्तु यहाँ यह जानने वाली बात है कि इनके द्वारा जारी किया गया फतवा मान्य नहीं होता है।
फतवा इस्लाम का अंग है इसी लिए इसे किसी गैर इस्लामिक लोगों पर लागू नहीं किया जा सकता है इसे सिर्फ जो इस्लाम को मानता है उसी पर लागू किया जा सकता है और यह भी जरूरी नहीं है की वह जो इस्लाम धर्म को मानता है और उसके खिलाफ फतवा जारी हो गया है तो उसे उस फतवे को मानना ही होगा क्योंकि फतवे को भारत के क़ानून के आधार पर मान्यता नहीं दी गई है और हिंदुस्तान इस्लामिक स्टेट नहीं है जहाँ पर शरीयत क़ानून हो इसी लिए हिंदुस्तान में रहने वाले लोग जो इस्लाम धर्म को मानते हैं वह भी इसके खिलाफ कानूनी कार्यवाही की मांग कर सकते हैं।
दरअसल फतवा सिर्फ एक राय मात्र है और जो इस राय को मानना चाहे तो माने और जो नहीं मानना चाहे वह नहीं माने परन्तु इसको जबरदस्ती किसी को मनवाया नहीं जा सकता है।
अब यहां पर एक बात ध्यान से समझने वाली है कि इस्लाम में फतवे को लेकर शिया और सुन्नी समुदाय में अलग-अलग मत हो सकता है क्योंकि यह सिर्फ एक राय है और राय अलग-अलग हो सकती हैं अगर हम उदाहरण दें तो तीन तलाक जिसे सुन्नी मुस्लिम मानते हैं परन्तु शिया मुस्लिम नहीं मानते हैं इसी लिए इनके द्वारा इस विषय को लेकर जारी किये गए फतवे में भी मतभेद हो सकता है।
तो यह है वह जानकारी फतवे के विषय में जो आपको जानी चाहिए थी।
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One Reply to “आखिर फतवा होता क्या है जो अक्सर जारी होता रहता है?”