INTERNET SHUTDOWN LAW: भारत में इंटरनेट शटडाउन मुख्य रूप से भारतीय टेलीग्राफ एक्ट,1885 और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 के तहत किया जाता है। इसके अतिरिक्त, सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों और सरकार द्वारा जारी किए गए विभिन्न नियमों का भी पालन किया जाता है।
हाइलाइट्स
INTERNET SHUTDOWN LAW: भारत के किसी-न-किसी क्षेत्र में आय दिन इंटरनेट बंद(INTERNET SHUTDOWN LAW) होता ही रहता है। यदि भारत सरकार या राज्य सरकार को किसी ऐसी घटना का पता लगता जिससे देश या राज्य को नुक्सान हो सकता है तो सरकार सबसे पहले इंटरनेट बंद करती है, ताकि गलत जानकारी का प्रसार न हो सके परन्तु क्या आपने कभी यह सोचा है कि आखिर भारत सरकार या राज्य सरकार किन कानूनों का सहारा लेकर देश या पूरे राज्य या राज्य की किसी क्षेत्र में इंटरनेट बंद (INTERNET SHUTDOWN LAW) करतीं हैं? चलिए आज हम आपको बताते हैं?

भारत में इंटरनेट शटडाउन मुख्य रूप से भारतीय टेलीग्राफ एक्ट,1885 और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 के तहत किया जाता है। इसके अतिरिक्त, सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों और सरकार द्वारा जारी किए गए विभिन्न नियमों का भी पालन किया जाता है। यहाँ कुछ प्रमुख नियम और प्रावधान हैं जिनके तहत इंटरनेट शटडाउन किया जाता है।
भारतीय टेलीग्राफ एक्ट,1885-

धारा 5(2)
इस धारा के तहत, सरकार को पब्लिक इमरजेंसी या पब्लिक सेफ्टी के मामलों में टेलीग्राफ सेवाओं को निलंबित करने की शक्ति दी गई है। इसमें इंटरनेट सेवाओं को भी शामिल किया गया है। इस नियम के अनुसार इंटरनेट शटडाउन का आदेश केवल केंद्र सरकार या राज्य सरकार द्वारा अधिकृत अधिकारियों द्वारा जारी किया जा सकता है।
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सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम,2000-
धारा 69A
इस धारा के तहत, केंद्र सरकार या उसके द्वारा अधिकृत कोई अधिकारी, यदि यह आवश्यक समझता है कि यह सूचना का अवरोधन, निगरानी, या डिक्रिप्शन करने के लिए उपयुक्त है, तो वह ऐसा कर सकता है।धारा 69A का उपयोग आमतौर पर वेबसाइट ब्लॉकिंग के लिए किया जाता है, लेकिन इसे इंटरनेट शटडाउन के संदर्भ में भी लागू किया जा सकता है।
टेम्परेरी सस्पेंशन ऑफ टेलीकॉम सर्विसेज (पब्लिक इमरजेंसी या पब्लिक सेफ्टी) नियम, 2017-
इन नियमों के तहत, केंद्र सरकार और राज्य सरकारें इंटरनेट सेवाओं के अस्थायी निलंबन का आदेश दे सकती हैं। इन नियमों के अनुसार, केवल गृह सचिव (केंद्र या राज्य स्तर पर) या उनसे अधिकृत व्यक्ति ही इंटरनेट शटडाउन का आदेश जारी कर सकते हैं। यह आदेश अधिकतम 15 दिनों के लिए हो सकता है और इसकी समीक्षा नियमित रूप से की जानी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश-
जनवरी 2020 में, सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय दिया था जिसमें इंटरनेट शटडाउन के मुद्दों पर दिशा-निर्देश दिए गए थे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इंटरनेट शटडाउन को अनिश्चित काल तक जारी नहीं रखा जा सकता और इसका आदेश पारदर्शी तरीके से जारी किया जाना चाहिए। हर इंटरनेट शटडाउन का आदेश सार्वजनिक रूप से उपलब्ध होना चाहिए और इसकी समीक्षा नियमित रूप से होनी चाहिए।
उदाहरण-
जम्मू और कश्मीर- जम्मू और कश्मीर में अक्सर इंटरनेट शटडाउन भारतीय टेलीग्राफ एक्ट, 1885 की धारा 5(2) और टेम्परेरी सस्पेंशन ऑफ टेलीकॉम सर्विसेज नियम, 2017 के तहत किया गया है।
राष्ट्रीय सुरक्षा- किसी विशेष क्षेत्र में आतंकवादी गतिविधियों या सुरक्षा चिंताओं की स्थिति में इंटरनेट शटडाउन का आदेश जारी किया जा सकता है।
भारत में इंटरनेट शटडाउन को कानूनी ढांचे के तहत किया जाता है, जिसमें विभिन्न नियम और अधिनियम शामिल हैं। हालांकि, इसके उपयोग को संतुलित और उचित बनाए रखने के लिए नियमित समीक्षा और पारदर्शिता महत्वपूर्ण है। (INTERNET SHUTDOWN LAW IN INDIA)
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