तिरुवनन्तपुरम: केरल है कोर्ट ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया(PFI) को विरोध प्रदर्शनों के दौरान हुए सार्वजनिक सम्पत्ति के नुकसान की भरपाई करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने यह आदेश गुरूवार (29 सितंबर 2022) को दिए। हाई कोर्ट ने PFI को 2 सप्ताह के भीतर 5 करोड़ 20 लाख रूपए जुर्माने के तौर में भरने के लिए कहा है। कोर्ट ने यह भी कहा है की आम लोगों का जीवन खतरे में नहीं डाला जा सकता है।
क्या कहा कोर्ट ने-
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रिपोर्ट के मुताबिक कोर्ट ने कहा है कि विरोध करने की इजाजत संविधान हमें देता है परन्तु इसका यह मतलब नहीं है कि अचानक हड़ताल कर दी जाए। आदेश में इसके आगे कहा गया कि हड़ताल में की गई तोड़फोड़ निंदनीय है। यह सुनवाई न्यायमूर्ति ए. के. जयशंकरन नांबियार और न्यायमूर्ति मोहम्मद नियास सी.पी. की पीठ ने की। बेंच ने कहा कि लोगों का जीवन खतरे में डालने वालों को खामियाजा भुगतना पड़ता है।
जिला अदलात को दिए निर्देश-
न्यायलय ने जिला अदालतों को यह भी आदेश दिया है PFI के कार्यकर्ता जिस भी जिला अदालत में जमानत की अर्जी लगाएं वहां उनसे जमानत की मुख्य शर्त में नुक्सान की उन्हीं से भरपाई शामिल हो। कोर्ट ने PFI के प्रदर्शन में हुई हिंसा का खुद ही संज्ञान लेते हुए इस मामले में आदेश जारी किया। हालाँकि, केरल राज्य सड़क परिवहन निगम ने भी उच्च न्यायालय से अपने हुए नुकसान की भरपाई PFI से करवाने की माँग की है।
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क्या हैं केरल में हड़ताल के मानक-
आपको बता दें की साल 2019 में केरल हाईकोर्ट ने हड़ताल के मानक तय किये थे जिसके तहत हड़ताल करने के 7 दिन पहले हड़ताल की सूचना प्रशासन को देने के निर्देश दिए थे। तब कोर्ट ने इस नियम का उल्लंघन करके होने वाली हड़ताल को असंवैधानिक करार दिया था। PFI ने इस नियम का पालन नहीं किया। कोर्ट ने PFI से सवाल किया कि हड़ताल से आम आदमी का क्या वास्ता, जो इस हरकत से डर में जी रहा है? हाईकोर्ट ने पूछा कि ऐसी हरकतों से आम आदमी परेशानी क्यों झेले?
गौरतलब है कि भारत की जांच एजेंसियों ने 22 सितम्बर 2022 को PFI के कई ठिकानों पर राष्ट्रव्यापी छापेमारी की थी। इसके बाद 23 सितम्बर 2022 को PFI ने केरल में हड़ताल बुलाई थी। इस हड़ताल में बड़े पैमाने पर हिंसक हरकतें हुई थीं। आरोप है कि PFI के कार्यकर्ताओं ने सरकारी बसों को भी नुकसान पहुँचाया था।