दी हिंदुस्तान टुडे: लॉकडाउन के कारण देश में वो काम हो रहा है जो सरकार शायद ही कभी करवा पाती

दी हिंदुस्तान टुडे: लॉकडाउन के कारण देश में वो काम हो रहा है जो सरकार शायद ही कभी करवा पाती

दी हिंदुस्तान टुडे: कोरोना वायरस से पूरी दुनियाँ प्रभावित हुई है और इस वायरस से बचने के लिए लॉकडाउन सबसे अच्छा इलाज साबित हुआ है परन्तु इस लॉकडाउन के चलते लोग अब बोर तो हो ही रहे हैं साथ में देश की और दुनिया कि अर्थव्यवस्था इससे बहुत प्रभावित हुई है। अगर भारत की बात करें तो 25-मार्च-2020- से भारत के सारे बाजार बंद हैं जिससे देश की अर्थव्यवस्था में इसका काफी नकारात्मक असर पड़ रहा है परन्तु अगर दी हिंदुस्तान टुडे आपको कहे की कोरोना वायरस के चलते होने वाले देशव्यापी लॉकडाउन से देश को काफी लाभ भी हो रहा है तो आप हमसे पूछेंगे की वो कैसे तो आज आपको दी हिंदुस्तान टुडे यही बताने वाला है की देश में चल रहे लॉकडाउन से देश को क्या लाभ हुआ है और हो रहा है और कैसे ?

दरअसल कोरोना वायरस के खतरे की वजह से देश में 21 दिनों का लॉकडाउन है। ऐसे में लोग अपने घरों में बंद हैं। जरूरी सेवाओं को छोड़कर फैक्ट्री, स्कूल, कॉलेज, दफ्तर परिवहन के साधन बंद हैं। इसके कारण देश में प्रदुषण के स्तर में काफी कमी आई है और लगातार आती जा रही है और यही है लॉकडाउन का सबसे बड़ा फायदा।

लॉकडाउन के कारण वायु प्रदुषण, जल प्रदुषण के साथ-साथ ध्वनि प्रदुषण में भी कमी देखने को मिली है।
देश की हवा स्वच्छ हो रही है नदियों में भी पहले की तुलना में साफ़ पानी बह रहा है खासकर गंगा और यमुना नदी का जल निर्मल नजर आने लगा है। जिन नदियों की सफाई के लिए सरकार हजारों करोड़ खर्च कर रही थीं फिर भी सकारात्मक असर नहीं मिल पा रहा था तो आज वो काम लॉकडाउन के कारण सफल होता दिख रहा है। हिंडन और गोमती नदी में भी सकारात्मक असर देखने को मिल रहे हैं। सड़कों में मोटर गाड़ी न चलने के कारण और उद्योग क्षेत्र बंद होने के कारण देश की हवा भी स्वच्छ होती जा रही है।
पर्यावरणविदों के अनुसार आबोहवा बदलने के साथ ही औद्योगिक इकाइयों का अपशिष्ट नहीं गिरने से नदियों के प्रदुषण में कमी आई है। केंद्रीय प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार यातायात सम्बन्धी प्रतिबंधों और औद्योगिक इकाइयों में काम काज बंद किये जाने से देश में प्रदुषण के स्तर में खासी कमी आई है।

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भोपाल से प्रकृति की तस्वीर 1 (दी हिंदुस्तान टुडे)

लॉकडाउन के चलते वायु और जल प्रदुषण में तो कमी आई ही है साथ में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से ध्वनि प्रदूषण में भी काफी कमी देखने को मिली है।
अगर भारत सरकार देश से इन प्रदुषण को कम करने के लिए हजारों करोड़ रूपए खर्च भी कर देती तो भी इस तरह का सकारात्मक असर प्रदुषण के क्षेत्र में नहीं देखने को मिल पाता क्योंकि भारत के हर क्षेत्र को बंद करवा पाना इतना आसान काम नहीं होता है परन्तु यह काम लॉकडाउन होने के कारण सफल होता दिख रहा हैं।

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भोपाल से प्रकृति की तस्वीर 2 (दी हिंदुस्तान टुडे)

हवा साफ़ हो रही है जल साफ़ हो रहा है ध्वनि कम उत्पन्न हो रही है कुल मिलकर देश से प्रदुषण कम होते जा रहा है जोकि आने वाले भविष्य के लिए सकारात्मक असर दिखायेगा। इसीलिए दी हिंदुस्तान टुडे कह रहा है की लॉकडाउन के कारन भी देश को कहीं न कहीं फ़ायदा हो रहा हैं। हाँ जरूर कोरोना वायरस के चलते होने वाली मौतें दर्दनीय हैं परन्तु इसका इलाज भी तो घर में रहना ही है और अगर देश के हर लोग घर में रहेंगे तो प्रदुषण तो कम होगा ही।

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भोपाल से प्रकृति की तस्वीर 3 (दी हिंदुस्तान टुडे)

आप जानते हैं की देश की राजधानी दिल्ली वायु प्रदुषण के कारण कितनी दूषित होती जा रही थी जिसका इलाज राज्य सरकार ने कई तरीकों से किया। जो तरीका सबसे ज्यादा प्रचलित हुआ वह है ऑड और ईवन वाला जिसके तहत राज्य में एक दिन ऑड नंबर की गाड़ी चलती थी और एक दिन ईवन नंबर की अब इस नियम को पालन करवाने के लिए सरकार को काफी मशक्क्त करनी पद रही थी फिर भी वायु प्रदुषण में कोई ज्यादा सुधार देखने को नहीं मिल पा रहा था परन्तु देश में लगे लॉकडाउन के कारन सिर्फ दिल्ली ही नहीं बल्किपूरे देश से वायु प्रदुषण काम होता दिख रहा है।

गंगा की स्थिति में 40-50 फीसदी सुधार-

सीपीबीसी के अनुसार गंगाजल ज्यादातर मॉनिटरिंग सेंटरों में नहाने के लिए उपयुक्त पाया गया है। एक रिपोर्ट के अनुसार गंगा में होने वाले कुल प्रदुषण में उद्योग की हिस्सेदारी 10%होती है। गंगा की स्थिति में 40-50 प्रतिशत सुधार देखने को मिल रहा है। यही नहीं 15-16 मार्च को हुई बारिश की वजह से गंगा नदी का भी बढ़ा है, इससे इसकी सफाई की क्षमता भी बढ़ी है। अगर लॉकडाउन से पहले से अब की तुलना की जाए तो अच्छा सुधार देखने को मिल रहा है। वाराणसी, कानपुर,इलाहाबाद,हरिद्वार जैसे शहरों में गंगा को पहले की तुलना में काफी साफ़ देखा जा रहा हैं।

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