तिरुपति बालाजी लड्डू विवाद: तिरुपति बालाजी के मंदिर में पशु चर्बी होने की आशंंका प्रकट हुई, जांच हुई तो बात सही निकली अब आरोप प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है। जांच पूरी होने पर ही यह कहा जा सकता है कि गलती किसकी है।
हाल ही में प्रसिद्ध प्रसादम की तैयारी में मिलावटी सामग्री के इस्तेमाल के आरोपों के बाद तिरुपति लड्डू विवाद गहरा गया है। प्रयोगशाला की रिपोर्ट में लड्डू के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले घी में गोमांस की चर्बी, मछली का तेल और यहां तक कि चर्बी सहित पशु वसा की मौजूदगी का पता चला है। इस पर काफी हंगामा हुआ है, नारा लोकेश और आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू सहित राजनीतिक नेताओं ने पिछली वाईएसआरसीपी सरकार पर इस तरह की मिलावट की अनुमति देने का आरोप लगाया है।
घी कंपनियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया-

जवाब में, तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) ने त्वरित कार्रवाई करते हुए आपूर्ति किए जा रहे घी की गुणवत्ता की जांच के लिए डेयरी विशेषज्ञों की एक समिति बनाई है। उन्होंने घटिया उत्पाद आपूर्ति करने वाली कंपनियों को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया है और उल्लंघन जारी रहने पर ठेकेदारों को काली सूची में डालने की चेतावनी दी है। इस बीच, अमूल जैसे प्रमुख डेयरी ब्रांडों ने इसमें शामिल होने से इनकार करते हुए स्पष्ट किया है कि उन्होंने कभी भी टीटीडी को घी की आपूर्ति नहीं की है।
इस मुद्दे ने राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का खेल शुरू कर दिया है, जिसमें पार्टियां एक-दूसरे पर लापरवाही का आरोप लगा रही हैं, जबकि भक्त और धार्मिक हस्तियां प्रसादम की पवित्रता पर चिंता व्यक्त कर रही हैं। जांच जारी है तथा विश्वास बहाल करने के लिए कड़े कदम उठाए जा रहे हैं।
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तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद में पशुओं की चर्बी का पाया जाना अपने आप में बहुत गम्भीर मुद्दा है। यह उन करोडों श्रद्धालुओं की आस्था के साथ खिलवाड का विषय है जिनको मांस के प्रति विशेष घ्रणा है। हिन्दु धर्म में तो वैसे भी मांस को अछूत माना जाता है।
अब सवाल यह उठता है कि
“भारत के सबसे बडे मंदिरों में से एक तिरुपति मंदिर के प्रशाद में मांस के अंश आए कैसे? क्या यह लापरवाही का नतीजा है या फिर इस मामले में किसी ने षणयंत्र रचा है?”
यह जांच का विषय है। जानकारी के मुताबिक लड्डू में जो घी मिलाया जाता था उसके माध्यम से लड्डू में मांस के अंश पहुँचे हैं। अब सवाल यह भी उठता है कि
“लड्डू में जानवरों की चर्बी के अंश कब-से मिलाए जा रहे हैं?”
इन सारे सवालों के जवाब तो जांच खत्म होने के बाद ही मिलेंगे।